अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
श्रावण मास विशेष : शिव बिल्वाष्टकम् का पाठ,देगा मनचाहा लाभ
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
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अर्थ: जो कोई भी धूप, दीप, नैवेद्य चढाकर भगवान शंकर के सामने इस पाठ को सुनाता है, भगवान भोलेनाथ उसके जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश करते हैं। अंतकाल में भगवान शिव के धाम शिवपुर अर्थात स्वर्ग की प्राप्ति होती है, उसे मोक्ष मिलता है। अयोध्यादास को प्रभु आपकी आस है, आप तो सबकुछ जानते हैं, इसलिए हमारे सारे दुख दूर करो भगवन।
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
तज्ञमज्ञान – पाथोधि – घटसंभवं, सर्वगं, सर्वसौभाग्यमूलं ।
श्रावण मास विशेष : शिव बिल्वाष्टकम् का पाठ,देगा मनचाहा लाभ
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीस।
It really is thought Shiv chaisa that standard chanting of Shiva Chalisa with utmost devotion has the ability to remove many of the obstructions and issues from one’s daily life.